अकेलेपन के राग
लड़की के लिए सब कुछ बस प्रेम था, प्रेम की कमी ही थी जो हमेशा उसे महसूस होती थी. सबको प्रेम बांटने के बाद भी उसे कमी लगती थी, खुद में, कई सारी चीजों में भी. जब भी प्रेम दिया जी भर कर दिया पर थी तो वो भी पागल ही. वो प्रेम की उम्मीद करती रही और जिस उम्मीद में वो हमेशा रही वो बहुत कम मिला उसको. एहसास में जीने वाले लोगों की बात अलग हो जाती है. ख़याली दुनिया के इतर वो सच्चाई में सर्वाइव कर ही नहीं पाते. लड़की के साथ भी यहीं था. वो हर बार दुखी पड़ जाती थी अपनी पैदा की गयी उम्मीदों में. सब समझाते थे उसे की उम्मीद नहीं पालनी चाहिए, लेकिन वो ढीठ थी. खूब प्रेम करती और खूब टूटती. सच्चाई में जीना जैसे उसके बस का नहीं था. और ऐसा भी नही की कोई कमी रही हो लड़की के जीवन में. पर कोई तो कमी थी कहीं जो खाये जाती थी उसे. खुद से प्यार करना लड़की को आता नहीं था. रिश्तों में वो रही. कई रिश्तों में रही. पर वो कमी उसकी पूरी नही हो पायी. रातों को नींद जब नहीं आती थी उसे तब सोचा करती थी वो की क्यों उसने ऐसी गलतियां कर दी. और वो ऐसी गलतियां करती भी ना कैसे उसका नाम ही विश्वास पर टिका था. सुबह हो...