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इश्क़ इन दिनों...

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सबसे बुरा पता है क्या होता है. जब आपके पास एक बात करने वाला रहा हो. जो आपके भेजे मेसेज का जवाब मिनटों में नहीं सेकेंडों में दे दिया करता हो. जिससे बात करने में आपको कभी हिचकिचाहट ना महसूस हुई हो. जिसने आपको जानने के लिए कई रातें भी गुजारी हों. और फिर अचानक एक दिन वहीँ इंसान आपके मेसेज का जवाब घंटों ऑनलाइन होने के बाद तक नहीं देता. जो अब कोई रूचि नहीं दिखाता जानने में की उसके शहर में होने के बावजूद आप उसके घर में ना हो कर किधर हैं! जो की अब ऑनलाइन आते हैं पर आप बस उस नाम के नीचे जलती हरी बत्ती या ऑनलाइन स्टेटस देख बस कुछ एक आंसू बहा देते हैं.. वो जलती हरी बत्ती या ऑनलाइन स्टेटस आपके लिए नहीं होता. तब आप भले ही कभी उस इंसान के लिए ख़ास रहें हो लेकिन अब उसके लिए आप उसकी कांटेक्ट लिस्ट में शामिल हजारों लोगों के बीच एक ऐसा कांटेक्ट होते हो जिससे बात करने की याद उस इंसान को कभी नहीं आएगी...

ट्रेन नॉस्टेल्जिया

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इस वक़्त ट्रेन में हूँ वापस भोपाल की ओर. मेरे बगल में एक मुस्लिम फैमिली है. हस्बैंड वाइफ उनके दो प्यारे से खूबसूरत बच्चे. एक बड़ा सा बच्चा है जो को करीब 3 साल का होगा और एक अभी कुछ  महीनों का होगा. जो बड़ा बच्चा है उसका नाम मौज़म है. खूब मस्ती करता हुआ कभी लड़ता कभी दुलार करता अपने अब्बू से. ज्यादा शरारत करने में उसके अब्बू उसे प्यार से बोलते 'बेटू ऐसा मत करो' किन्ही और ख्यालों में मगन मैं ये शब्द सुन कर ही दूर पहुँच जाती इस ट्रेन से कहीं. उस बच्चे के अब्बू का यूँ ' बेटू' बोलना इतना मीठा लगता है की मैं तरस उठती हूँ सुनने को तुम्हारे मुँह से अपना नाम वो नाम जिससे तुमने ही बुलाया 'मेरा बिटवा' 'मेरा बेटू' एक बार जब बीमार थी और तुमने मुझे कहानी सुनाई थी. मैंने उसे रिकॉर्ड कर लिया था.तुम्हारा उस कहानी के दौरान कितने प्यार से 'बेटू' और 'बिटवा' बोलना. उस ऑडियो को मैंने फिर चला रखा है. तुम्हारा खूब प्यार से मुझे कहानी सुनाना और मेरा बीच बीच में तुम्हे रोक कर सवाल पूछना. सब पुराना वक़्त तैर आता है आँखों के सामने. ये लिखते भी मेरा गला काफी भरा

This Too Shall Pass

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लड़की अजीब है! सबसे घिरे होने के बावजूद अकेली हो जाती है. दुखी होती है अक्सर पर खबर नही पड़ती किसी को. पर एक दुःख छुपा ना पायी वो. प्रेमी का दुःख. उसके साथ उतार चढ़ाव चलते रहते थे मानो साया हो उसका पर वो सब हँसी ख़ुशी बिता देती थी बस अपने प्रेमी के साथ में. रातों को जब तक उसकी आवाज नहीं सुन लेती थी बेचैन रहती थी. प्यार सबसे मजूबत बना कब कमजोरी बन जाता है पता नहीं चलता. पर इतने प्रेम के बावजूद भी जीवन में जितने भी सबसे कठिन मौके आये उसने अकेले सब पार कर किया. दर्द में कराहते जो नाम जुबां पर आता था वो जैसे उसकी आत्मा में दर्ज हो. वो रोती और मिन्नतें करती की वो मर जाए पर कुछ इच्छाओं की तरह इस इच्छा का प्रारब्ध भी अधूरा रहना ही था. लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन की गर बात यहां होती तो 10 साल पहले मर चुकी होती. पर वो जिन्दा है, अभी तक है, और पता नहीं कब तक उसे और रहना भी पड़ेगा. अकेलापन आपको जितना मजबूत बनाता है उतना ही कई बार तोड़ देता है. अपने खुद के बनाये कष्टों से परेशान लड़की "this too shall pass" कहती और निपट लेती सारे  दुखों से अकेले, और कोई रास्ता भी तो नही था. साथ होना और वाकई साथ होन

सुनो..

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सुनो... तुम्हें काफी कुछ बताना है. बताना है तुम्हें की चाँद के पूरे दिख जाने में तुम शिद्दत से याद आते हो. और उसके बाद मन में महसूस होता अकेलापन, अमावस की रात सा हो जाता है चाँद के बिना सियाह! तुम्हारे सो जाने के बाद... तुम्हें बताना है की तुम सोते हुए कितने प्यार से भरे लगते हो. जैसे एक नन्हा सा बच्चा अपनी बड़ी आँखों से निहारता है घटते बढ़ते चाँद को। बताना है यह भी... कि तुम जो यूँ दूर हो जाते हो! यह हुनर तुमने सीखा है चाँद से, या चाँद ने सीखा है तुमसे यूँ बादलों में छिपम छिपाई का खेल. तुम्हे बताना है.. कि रात के करीब ढाई बजे जब या तो सब सोये हैं या मशगूल हैं तन्हाई या इश्क़ में, मैं अपने असाइनमेंट पूरे करने में लगी हूँ. तभी अचानक एक हल्का सा हवा का झोंका चुरा लाया है खुशबु तुम्हारी, हज़ार किलोमीटर दूर मुझ तक। देखो इस तरह हवा का मज़ाक करना मुझे कतई नहीं पसंद। सुनो... सुन रहे हो ना!!!

सर्द रातों के एहसास

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नवंबर की बढ़ती सर्द वाली एक रात में वो लेटी थी लपेटे खुद में बस एक झीनी सी चादर. वो चादर जो प्रेमी ने दी थी कभी, अपनी ओढ़ी हुई की अलग हो कर भी जिस्म कहीं से महसूस किये जा सके आपस में. लड़की की उंगलियों में प्रेमी की उंगलियों के बजाय एक दहकती सी सिगरेट है.  आहिस्ते लिए गए कुछ कश हैं जिनके धुंए से खिड़की के बाहर कई अजीब से आकार बनते हैं. लड़की उन छल्लों में खोज लेती है प्रेमी को, उसके नर्म एहसासों को और छूट गए साथ को भी. आधी सी जल चुकी सिगरेट लड़की की उंगलियों में दम तोड़ देती है, पर लड़की बेख़बर हैं इस हुए अनहुए से. वो कहीं गुमी सी है, पुरानी तस्वीरों के जालों में शायद जो उसने कुछ मिनट पहले देखे थे. उन तस्वीरों में लड़की का बेझिझक हँसना और प्रेमी का अनुराग कितना साफ़ था. लड़की ठण्ड को जरा और महसूस करते प्रेमी की चादर को और भींच लेती है, बिलकुल वैसे ही जब साथ के दिनों में वो सिमट जाती थी उसकी  छाती में. कुछ देर पहले बही हुई वो एक जोड़ी आँखें फिर उदास हो जाती हैं. अपने बिस्तर में बैठे, ओढ़े प्रेम की निशानी, यादों में गुम वो चुपचाप कुछ आंसू गिरा देती है. हांथों में बुझी हुई वो सिगरेट एक बा

साथ और याद!

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एक तस्वीर भेजी थी उसने एक खूबसूरत से खरगोश को थामे. मेरी नजर उसकी उँगलियों पर ठिठक गयी. कुछ देर तक देखते रहने के बाद मैंने उसे जवाब दिया ' तुम्हारे हाथ बेहद खूबसूरत हैं'  ये लिखने के बाद उन बीते दिनों का साथ घूमने लगा नजरों के आगे. जब साथ बैठे होते थे हम तब तुम्हारी उंगलियों से कितना खेला करती थी मैं. तुम्हारी कलाई और हाँथ को देखा करती थी जब थामे होते थे मुझे तुम, हलकी सी धूप में तुम्हारे हांथो के बालों का चमकदार शहद सा रंग और तुम्हारी गोरी सी हथेली जेहन में बहुत गहरे बसी है. तुमने जवाब दिया 'ये बेइज्जती का अच्छा तरीका है'  पर वाकई तुमसे खूबसूरत उस वक़्त तुम्हारी उंगलियां लग रही थीं.  उन के बीच थामा वो प्यारा सा खरगोश. तुम्हारे खूबसूरत से हाथों में बसे एहसास मुझे भुला देते हैं सब. तुम्हारी उँगलियों में लिपटी मेरी नजरें तुम्हारे सारे तिल देख कर दर्ज कर लेती थीं. तुम्हारे स्पर्श को याद करते मैं एक ठंडा दिन ऐसे ही गुजार देती हूँ.  कुछ छोटी सी चीजें भी कई बार कितना कुछ याद दिला जाती हैं ना. अब जब तुम अलग होने का सोच रहे हो, बस दोस्त बने रहना च