Posts

Showing posts with the label believe

ख़ुशी!

Image
  कितनी अजीब बात है की वो खुश है, वो कितनी खुश है इसका उसे अंदाजा नहीं, या वो बस एक खुश होने का लिबास पहन कर दुःख को चकमा दे रही है. चाँद वाली रातों में जब सब सो जा ते थे वो अपना सब कुछ लेकर वहाँ चली जाती थी, कह जाती थी वो सब जो एक प्रेमिका अपने प्रेमी से कहा करती है, जैसे एक अबोध बच्चा अपनी माँ की आँखों में देख ना जाने क्या क्या कह जाया करता है. वो सितारों को देखती और उनके होने के कारण के बारे में सोचती. उसे अक्सर ऐसा लगता था की इतिहास में कहीं तो एक कड़ी है जिसके बारे में हमें पता नहीं. वो उस कड़ी को जाने की कोशिश कर रही है, वो खुद को जानने की कोशिश में लगी है की कभी कहीं उसे पता चल जाए की उसके नाम के पीछे जो आत्मा जैसा है वो क्या है. वो सवाल जो बचपन से उसके ज़ेहन में हैं उनका कारण आखिर क्या है! वो जिन्दा अब तक आखिर क्यों है. हमेशा प्यार की बातें करने वाली लड़की अब व्यापार भी समझने लगी है और उसका भरोसा प्यार में और ज्यादा बढ़ गया है. हमेशा दिल टूटने के बाद  अब वो किसी एक मुस्कान का कारण नहीं बनना चाहती, अब उसे दूसरों को मुस्कान बाटनी है, तमाम प्यार जो उसके अन्दर भरा है वो दुनिया क

द बेस्ट थिंग हैपेंड टू यू!!

Image
द बेस्ट थिंग हैपेंड टू यू? एक बेहद प्यारा साथ गुजारने के बाद अब जब वो लड़की और लड़का दोनों ही आपस में बात नहीं कर रहे. लड़की झल्ला उठती है अपने आप पास की चीजों से. खुद से और तो और उन सब से भी जिनमें इनका कोई भी हाथ नहीं. लड़की के पास कोई ख़ास काम है नहीं करने को. दिन में कुछ एक घंटे पढ़ने के और 2 घंटे कोचिंग जाने के अलावा वो ज्यादा कुछ भी नहीं करती. किताबें पढ़ती है. पर मन को बांधे रखने जैसे काम कम हैं उसके पास. लड़का बहुत व्यस्त है. वो 4 घंटे अधिक काम भी कर रहा है जैसा की उसने आखरी बातचीत में लड़की को बताया था. लड़की यूँ ही एक बार अचानक लड़के को 3 बजे ऑनलाइन देखती है. और बंद कर के फ़ोन सोने लगती है. पर इश्क़ का भूत यूँ उतर जाए तो सबसे बड़ी बला थोड़े ही ना कहला पाएगा. लड़की तैरना तो वैसे भी नहीं जानती. वो और डूबने लगती है पुराने बिसरे में. वो देखती है उसे ऑनलाइन फिर. मन में उसके एक हूक उठती है. जलन की नहीं. बस चुभन है नकारे जाने की. जिससे सबसे ज्यादा करीब थी वो अब सबसे दूर हो गया. वो याद करती है उन दिनों को जब ऐसे ही लड़के से बात करते कितना वक़्त गुजार देती थी वो पर बातें उनकी कभी ख़त्म ही

ट्रेन नॉस्टेल्जिया

Image
इस वक़्त ट्रेन में हूँ वापस भोपाल की ओर. मेरे बगल में एक मुस्लिम फैमिली है. हस्बैंड वाइफ उनके दो प्यारे से खूबसूरत बच्चे. एक बड़ा सा बच्चा है जो को करीब 3 साल का होगा और एक अभी कुछ  महीनों का होगा. जो बड़ा बच्चा है उसका नाम मौज़म है. खूब मस्ती करता हुआ कभी लड़ता कभी दुलार करता अपने अब्बू से. ज्यादा शरारत करने में उसके अब्बू उसे प्यार से बोलते 'बेटू ऐसा मत करो' किन्ही और ख्यालों में मगन मैं ये शब्द सुन कर ही दूर पहुँच जाती इस ट्रेन से कहीं. उस बच्चे के अब्बू का यूँ ' बेटू' बोलना इतना मीठा लगता है की मैं तरस उठती हूँ सुनने को तुम्हारे मुँह से अपना नाम वो नाम जिससे तुमने ही बुलाया 'मेरा बिटवा' 'मेरा बेटू' एक बार जब बीमार थी और तुमने मुझे कहानी सुनाई थी. मैंने उसे रिकॉर्ड कर लिया था.तुम्हारा उस कहानी के दौरान कितने प्यार से 'बेटू' और 'बिटवा' बोलना. उस ऑडियो को मैंने फिर चला रखा है. तुम्हारा खूब प्यार से मुझे कहानी सुनाना और मेरा बीच बीच में तुम्हे रोक कर सवाल पूछना. सब पुराना वक़्त तैर आता है आँखों के सामने. ये लिखते भी मेरा गला काफी भरा

This Too Shall Pass

Image
लड़की अजीब है! सबसे घिरे होने के बावजूद अकेली हो जाती है. दुखी होती है अक्सर पर खबर नही पड़ती किसी को. पर एक दुःख छुपा ना पायी वो. प्रेमी का दुःख. उसके साथ उतार चढ़ाव चलते रहते थे मानो साया हो उसका पर वो सब हँसी ख़ुशी बिता देती थी बस अपने प्रेमी के साथ में. रातों को जब तक उसकी आवाज नहीं सुन लेती थी बेचैन रहती थी. प्यार सबसे मजूबत बना कब कमजोरी बन जाता है पता नहीं चलता. पर इतने प्रेम के बावजूद भी जीवन में जितने भी सबसे कठिन मौके आये उसने अकेले सब पार कर किया. दर्द में कराहते जो नाम जुबां पर आता था वो जैसे उसकी आत्मा में दर्ज हो. वो रोती और मिन्नतें करती की वो मर जाए पर कुछ इच्छाओं की तरह इस इच्छा का प्रारब्ध भी अधूरा रहना ही था. लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन की गर बात यहां होती तो 10 साल पहले मर चुकी होती. पर वो जिन्दा है, अभी तक है, और पता नहीं कब तक उसे और रहना भी पड़ेगा. अकेलापन आपको जितना मजबूत बनाता है उतना ही कई बार तोड़ देता है. अपने खुद के बनाये कष्टों से परेशान लड़की "this too shall pass" कहती और निपट लेती सारे  दुखों से अकेले, और कोई रास्ता भी तो नही था. साथ होना और वाकई साथ होन

सुनो..

Image
सुनो... तुम्हें काफी कुछ बताना है. बताना है तुम्हें की चाँद के पूरे दिख जाने में तुम शिद्दत से याद आते हो. और उसके बाद मन में महसूस होता अकेलापन, अमावस की रात सा हो जाता है चाँद के बिना सियाह! तुम्हारे सो जाने के बाद... तुम्हें बताना है की तुम सोते हुए कितने प्यार से भरे लगते हो. जैसे एक नन्हा सा बच्चा अपनी बड़ी आँखों से निहारता है घटते बढ़ते चाँद को। बताना है यह भी... कि तुम जो यूँ दूर हो जाते हो! यह हुनर तुमने सीखा है चाँद से, या चाँद ने सीखा है तुमसे यूँ बादलों में छिपम छिपाई का खेल. तुम्हे बताना है.. कि रात के करीब ढाई बजे जब या तो सब सोये हैं या मशगूल हैं तन्हाई या इश्क़ में, मैं अपने असाइनमेंट पूरे करने में लगी हूँ. तभी अचानक एक हल्का सा हवा का झोंका चुरा लाया है खुशबु तुम्हारी, हज़ार किलोमीटर दूर मुझ तक। देखो इस तरह हवा का मज़ाक करना मुझे कतई नहीं पसंद। सुनो... सुन रहे हो ना!!!

सर्द रातों के एहसास

Image
नवंबर की बढ़ती सर्द वाली एक रात में वो लेटी थी लपेटे खुद में बस एक झीनी सी चादर. वो चादर जो प्रेमी ने दी थी कभी, अपनी ओढ़ी हुई की अलग हो कर भी जिस्म कहीं से महसूस किये जा सके आपस में. लड़की की उंगलियों में प्रेमी की उंगलियों के बजाय एक दहकती सी सिगरेट है.  आहिस्ते लिए गए कुछ कश हैं जिनके धुंए से खिड़की के बाहर कई अजीब से आकार बनते हैं. लड़की उन छल्लों में खोज लेती है प्रेमी को, उसके नर्म एहसासों को और छूट गए साथ को भी. आधी सी जल चुकी सिगरेट लड़की की उंगलियों में दम तोड़ देती है, पर लड़की बेख़बर हैं इस हुए अनहुए से. वो कहीं गुमी सी है, पुरानी तस्वीरों के जालों में शायद जो उसने कुछ मिनट पहले देखे थे. उन तस्वीरों में लड़की का बेझिझक हँसना और प्रेमी का अनुराग कितना साफ़ था. लड़की ठण्ड को जरा और महसूस करते प्रेमी की चादर को और भींच लेती है, बिलकुल वैसे ही जब साथ के दिनों में वो सिमट जाती थी उसकी  छाती में. कुछ देर पहले बही हुई वो एक जोड़ी आँखें फिर उदास हो जाती हैं. अपने बिस्तर में बैठे, ओढ़े प्रेम की निशानी, यादों में गुम वो चुपचाप कुछ आंसू गिरा देती है. हांथों में बुझी हुई वो सिगरेट एक बा

प्रेम का धागा।

Image
वो रात जो जाग कर गुजार दी जाती थी भयवश किसी अप्रत्याशित के उस रात के बीच जब जाग गए थे तुम एकबार, और तुमने मुझे भी जागता पाया मेरे आँखों में पसरा डर देखा और जोर से मुझे गले भी लगाया। पर कइयों बार हम खुद से दूर हो जाते हैं। तुम समझाते  टोटके करते बचाने को मुझे  बुरे सपनों से और मैं ढीठ सी हर बार डर ही जाती। फिर अचानक  तुम ले आये  एक धागा मेरा इनको ना मानना और तुम्हारी इन सब पर पूरी श्रद्धा मेरा मना करना  पर तुम मुझे चुप करा बस बांधते रहे कलाई पर उसे मेरी। मैं तुम्हे देख रही थी उस वक़्त पूरे आश्चर्य से कैसे प्रेम में पड़ा लड़का है यह धागे से भला कभी कोई भय जाएगा पर तुम्हारे खातिर मैंने बांधे रखा वो अजमेर का धागा आख़री गाँठ के साथ तुम्हारा उस धागे को चूमना और मेरा तुम्हारे और इश्क़ में पड़ना। आज अचानक एक चींटी घुस गयी है इसमे जैसे पूँछ रही हो ये कैसे अब तक बंधा है मैंने हलके से अलग किया उस चीटीं को  और समझाया ये मामूली नहीं प्यार का धागा है आधी रात को प्रेयस के हांथो बंधा महफूज़ियत का धागा है। ऐसा बोल कर मैं  सोचती हूँ वाक़ई कितनी ताक़त होती है