यूँ ही.....
प्यारी लड़कियों
सुनो
यह जरूरी है बेहद कि तुम जानो
तुम जानो कि तुम अनमोल हो बेहद
कि अनमोल होना खासियत है तुम्हारी
तुम्हें यह जानना चाहिए कि
तुम्हारी इस अनमोलियत और स्त्री होने का
पूरा समाज उठाता है फायदा
प्रकृति द्वारा दी गई करुणा का
स्नेह और वात्सल्य का
समाज करता है व्याभिचार बार बार
क्यों ??
क्योंकि तुम अनमोल हो
तुम अनमोल हो यह जानकर ही
समाज लगाता है कई बार बोलियां तुम्हारी
कई बार बनकर रक्षक तुम्हारा
कई बार प्रेम का चोला ओढ़े
कई बार मोह कर मन तुम्हारा
यह बस खत्म करना चाहते हैं
तुम्हारा आत्मविश्वास
कि तुम अनमोल हो
तुम जैसे जैसे जाओगी भीतर इस समाज के
पाओगी बस दोगलापन
पाओगी बस प्रतिस्पर्धा
प्रतिस्पर्धा उन बेतुकी चीजों की
जो की तुम्हे कम आंकती हैं
वे चीजें
जो तुम्हें सिखाएंगी
वह झीना आत्मविश्वास
जिसकी कतई जरुरत नही तुम्हें
सुनो...
इसी बीच कोई शायद प्रेम लाएगा तुम्हारे पास
तुम बेहद खुश होओगी
झूमोगी
चहकोगी
तुम जश्न जिंदगी का मनाओगी
कि प्रेम पा लिया है तुमने
पर जानाँ....
यहाँ सम्हलना जरा
याद रखना कि
प्रेम पहले स्व से करना होता है
इसलिए पहले खूब प्रेम करना खुद को
खुद के लिए झूमना
खुद को कई बार चूम लेना
मानना कि
तुम्हे तुमसे बढ़ कर चाह सकेगा न कोई और..
यह दुनिया बेहद दोगली है लड़कियों
अगर खुद से प्रेम किए बिना तुम पड़ी प्रेम में
तो आशंका जिसकी ज्यादा है,
वह यह है कि
वह बस चाहेगा अनमोलियत तुम्हारी
वो मोहेगा कई बार मन तुम्हारा
और तुम रीझोगी कइयों बार उस पर
वह चाहेगा संपूर्ण प्रेम...
साथ ही सर्वस्व तुम्हारा
और वशीभूत हो प्रकृति के
तुम हो जाओगी न्यौछावर भी
पर जानाँ....
यह याद रखना
पुरुषों का एक मात्र रस विजय है
जिस भी क्षण उसने जीत लिया तुम्हे
तुम्हारा प्रेमी
वो आकर्षण न पाएगा फिर तुममे
हाँ.... अपवाद भी मिल सकते है
पर
बेहद कम
तुम एक स्त्री से जैसे ही प्रेमिका हो जाओगी
तुम्हारा प्रेमी उसी गति से प्रेमी से पुरुष हो जाएगा
वह तोड़ेगा तुम्हे
बेहद
पर यह याद रखना
तुम स्वयं ही अपना घर हो
तुम डूबना अवसाद में भी
पर खुद को भी पाना
तुम यह जानना
कि देह मात्र माध्यम है
जो भीतर है
वो मात्र तुम हो
परिष्कृत होती हुई
तुम निराश न होना कि
प्रेम में छली गयी
तुम समर्थ बनना कि
प्रेम कितना अथाह है कितना खूबसूरत है
यह जान पाओ
तुम प्रेम करना
इस दुनिया से
पर पहल प्रेम करने की, खुद से करना
तुम अनमोल हो यह कभी मत भूलना
कोशिशें अक्सर करना
गलतियाँ करना
पर निराश न होना
बस आगे बढ़ते रहना
क्योकि
यहीं एक मात्र रास्ता है
जो तुम्हे शुद्ध बनाएगा
तुम जाना परे इन जिस्मों के फेर से
तुम समाज के नियमों की धज्जियाँ उड़ाना
जीना खुद की शर्तों पर..
खुद को सबसे ज्यादा प्रेम करना
याद रखना
कोई हायमन तुम्हारे चरित्र का प्रमाण नही
तुम्हे बनना है इस काबिल की
कोई कभी भी तुम्हारी कीमत लगा न सके
तुम विश्वास बनाये रखना यह हमेशा
कि अनमोल थी तुम..... हो .... और रहोगी भी।
सुनो लड़कियों
तुम कभी हार न मानना.....
सुनो
यह जरूरी है बेहद कि तुम जानो
तुम जानो कि तुम अनमोल हो बेहद
कि अनमोल होना खासियत है तुम्हारी
तुम्हें यह जानना चाहिए कि
तुम्हारी इस अनमोलियत और स्त्री होने का
पूरा समाज उठाता है फायदा
प्रकृति द्वारा दी गई करुणा का
स्नेह और वात्सल्य का
समाज करता है व्याभिचार बार बार
क्यों ??
क्योंकि तुम अनमोल हो
तुम अनमोल हो यह जानकर ही
समाज लगाता है कई बार बोलियां तुम्हारी
कई बार बनकर रक्षक तुम्हारा
कई बार प्रेम का चोला ओढ़े
कई बार मोह कर मन तुम्हारा
यह बस खत्म करना चाहते हैं
तुम्हारा आत्मविश्वास
कि तुम अनमोल हो
तुम जैसे जैसे जाओगी भीतर इस समाज के
पाओगी बस दोगलापन
पाओगी बस प्रतिस्पर्धा
प्रतिस्पर्धा उन बेतुकी चीजों की
जो की तुम्हे कम आंकती हैं
वे चीजें
जो तुम्हें सिखाएंगी
वह झीना आत्मविश्वास
जिसकी कतई जरुरत नही तुम्हें
सुनो...
इसी बीच कोई शायद प्रेम लाएगा तुम्हारे पास
तुम बेहद खुश होओगी
झूमोगी
चहकोगी
तुम जश्न जिंदगी का मनाओगी
कि प्रेम पा लिया है तुमने
पर जानाँ....
यहाँ सम्हलना जरा
याद रखना कि
प्रेम पहले स्व से करना होता है
इसलिए पहले खूब प्रेम करना खुद को
खुद के लिए झूमना
खुद को कई बार चूम लेना
मानना कि
तुम्हे तुमसे बढ़ कर चाह सकेगा न कोई और..
यह दुनिया बेहद दोगली है लड़कियों
अगर खुद से प्रेम किए बिना तुम पड़ी प्रेम में
तो आशंका जिसकी ज्यादा है,
वह यह है कि
वह बस चाहेगा अनमोलियत तुम्हारी
वो मोहेगा कई बार मन तुम्हारा
और तुम रीझोगी कइयों बार उस पर
वह चाहेगा संपूर्ण प्रेम...
साथ ही सर्वस्व तुम्हारा
और वशीभूत हो प्रकृति के
तुम हो जाओगी न्यौछावर भी
पर जानाँ....
यह याद रखना
पुरुषों का एक मात्र रस विजय है
जिस भी क्षण उसने जीत लिया तुम्हे
तुम्हारा प्रेमी
वो आकर्षण न पाएगा फिर तुममे
हाँ.... अपवाद भी मिल सकते है
पर
बेहद कम
तुम एक स्त्री से जैसे ही प्रेमिका हो जाओगी
तुम्हारा प्रेमी उसी गति से प्रेमी से पुरुष हो जाएगा
वह तोड़ेगा तुम्हे
बेहद
पर यह याद रखना
तुम स्वयं ही अपना घर हो
तुम डूबना अवसाद में भी
पर खुद को भी पाना
तुम यह जानना
कि देह मात्र माध्यम है
जो भीतर है
वो मात्र तुम हो
परिष्कृत होती हुई
तुम निराश न होना कि
प्रेम में छली गयी
तुम समर्थ बनना कि
प्रेम कितना अथाह है कितना खूबसूरत है
यह जान पाओ
तुम प्रेम करना
इस दुनिया से
पर पहल प्रेम करने की, खुद से करना
तुम अनमोल हो यह कभी मत भूलना
कोशिशें अक्सर करना
गलतियाँ करना
पर निराश न होना
बस आगे बढ़ते रहना
क्योकि
यहीं एक मात्र रास्ता है
जो तुम्हे शुद्ध बनाएगा
तुम जाना परे इन जिस्मों के फेर से
तुम समाज के नियमों की धज्जियाँ उड़ाना
जीना खुद की शर्तों पर..
खुद को सबसे ज्यादा प्रेम करना
याद रखना
कोई हायमन तुम्हारे चरित्र का प्रमाण नही
तुम्हे बनना है इस काबिल की
कोई कभी भी तुम्हारी कीमत लगा न सके
तुम विश्वास बनाये रखना यह हमेशा
कि अनमोल थी तुम..... हो .... और रहोगी भी।
सुनो लड़कियों
तुम कभी हार न मानना.....
Feminism
ReplyDeletenot at all
Delete