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This Too Shall Pass

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लड़की अजीब है! सबसे घिरे होने के बावजूद अकेली हो जाती है. दुखी होती है अक्सर पर खबर नही पड़ती किसी को. पर एक दुःख छुपा ना पायी वो. प्रेमी का दुःख. उसके साथ उतार चढ़ाव चलते रहते थे मानो साया हो उसका पर वो सब हँसी ख़ुशी बिता देती थी बस अपने प्रेमी के साथ में. रातों को जब तक उसकी आवाज नहीं सुन लेती थी बेचैन रहती थी. प्यार सबसे मजूबत बना कब कमजोरी बन जाता है पता नहीं चलता. पर इतने प्रेम के बावजूद भी जीवन में जितने भी सबसे कठिन मौके आये उसने अकेले सब पार कर किया. दर्द में कराहते जो नाम जुबां पर आता था वो जैसे उसकी आत्मा में दर्ज हो. वो रोती और मिन्नतें करती की वो मर जाए पर कुछ इच्छाओं की तरह इस इच्छा का प्रारब्ध भी अधूरा रहना ही था. लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन की गर बात यहां होती तो 10 साल पहले मर चुकी होती. पर वो जिन्दा है, अभी तक है, और पता नहीं कब तक उसे और रहना भी पड़ेगा. अकेलापन आपको जितना मजबूत बनाता है उतना ही कई बार तोड़ देता है. अपने खुद के बनाये कष्टों से परेशान लड़की "this too shall pass" कहती और निपट लेती सारे  दुखों से अकेले, और कोई रास्ता भी तो नही था. साथ होना और वाकई साथ होन
लड़की अजीब है! सबसे घिरे होने के बावजूद अकेली हो जाती है. दुखी होती है अक्सर पर खबर नही पड़ती किसी को. पर एक दुःख छुपा ना पायी वो. प्रेमी का दुःख. उसके साथ उतार चढ़ाव चलते रहते थे मानो साया हो उसका पर वो सब हँसी ख़ुशी बिता देती थी बस अपने प्रेमी के साथ में. रातों को जब तक उसकी आवाज नहीं सुन लेती थी बेचैन रहती थी. प्यार सबसे मजूबत बना कब कमजोरी बन जाता है पता नहीं चलता. पर इतने प्रेम के बावजूद भी जीवन में जितने भी सबसे कठिन मौके आये उसने अकेले सब पार कर किया. दर्द में कराहते जो नाम जुबां पर आता था वो जैसे उसकी आत्मा में दर्ज हो. वो रोती और मिन्नतें करती की वो मर जाए पर कुछ इच्छाओं की तरह इस इच्छा का प्रारब्ध भी अधूरा रहना ही था. लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन की गर बात यहां होती तो 10 साल पहले मर चुकी होती. पर वो जिन्दा है, अभी तक है, और पता नहीं कब तक उसे और रहना भी पड़ेगा. अकेलापन आपको जितना मजबूत बनाता है उतना ही कई बार तोड़ देता है. अपने खुद के बनाये कष्टों से परेशान लड़की "this too shall pass" कहती और निपट लेती सारे  दुखों से अकेले, और कोई रास्ता भी तो नही था. साथ होना और वाकई साथ होन

अकेलेपन के राग

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लड़की के लिए सब कुछ बस प्रेम था, प्रेम की कमी ही थी जो हमेशा उसे महसूस होती थी. सबको प्रेम बांटने के बाद भी उसे कमी लगती थी, खुद में, कई सारी चीजों में भी. जब भी प्रेम दिया जी भर कर दिया पर थी तो वो भी पागल ही. वो प्रेम की उम्मीद करती रही और जिस उम्मीद में वो हमेशा रही वो बहुत कम मिला उसको. एहसास में जीने वाले लोगों की बात अलग हो जाती है. ख़याली दुनिया के इतर वो सच्चाई में सर्वाइव कर ही नहीं पाते. लड़की के साथ भी यहीं था. वो हर बार दुखी  पड़  जाती थी अपनी पैदा की गयी उम्मीदों में. सब समझाते थे उसे की उम्मीद नहीं पालनी चाहिए, लेकिन वो ढीठ थी. खूब प्रेम करती और खूब टूटती. सच्चाई में जीना जैसे उसके बस का नहीं था. और ऐसा भी नही की कोई कमी रही हो लड़की के जीवन में. पर कोई तो कमी थी कहीं जो खाये जाती थी उसे. खुद से प्यार करना लड़की को आता नहीं था. रिश्तों में वो रही. कई रिश्तों में रही. पर वो कमी उसकी पूरी नही हो पायी. रातों को नींद जब नहीं आती थी उसे तब सोचा करती थी वो की क्यों उसने ऐसी गलतियां कर दी. और वो ऐसी गलतियां करती भी ना कैसे उसका नाम ही विश्वास पर टिका था. सुबह होने के कुछ

सुनो..

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सुनो... तुम्हें काफी कुछ बताना है. बताना है तुम्हें की चाँद के पूरे दिख जाने में तुम शिद्दत से याद आते हो. और उसके बाद मन में महसूस होता अकेलापन, अमावस की रात सा हो जाता है चाँद के बिना सियाह! तुम्हारे सो जाने के बाद... तुम्हें बताना है की तुम सोते हुए कितने प्यार से भरे लगते हो. जैसे एक नन्हा सा बच्चा अपनी बड़ी आँखों से निहारता है घटते बढ़ते चाँद को। बताना है यह भी... कि तुम जो यूँ दूर हो जाते हो! यह हुनर तुमने सीखा है चाँद से, या चाँद ने सीखा है तुमसे यूँ बादलों में छिपम छिपाई का खेल. तुम्हे बताना है.. कि रात के करीब ढाई बजे जब या तो सब सोये हैं या मशगूल हैं तन्हाई या इश्क़ में, मैं अपने असाइनमेंट पूरे करने में लगी हूँ. तभी अचानक एक हल्का सा हवा का झोंका चुरा लाया है खुशबु तुम्हारी, हज़ार किलोमीटर दूर मुझ तक। देखो इस तरह हवा का मज़ाक करना मुझे कतई नहीं पसंद। सुनो... सुन रहे हो ना!!!

सर्द रातों के एहसास

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नवंबर की बढ़ती सर्द वाली एक रात में वो लेटी थी लपेटे खुद में बस एक झीनी सी चादर. वो चादर जो प्रेमी ने दी थी कभी, अपनी ओढ़ी हुई की अलग हो कर भी जिस्म कहीं से महसूस किये जा सके आपस में. लड़की की उंगलियों में प्रेमी की उंगलियों के बजाय एक दहकती सी सिगरेट है.  आहिस्ते लिए गए कुछ कश हैं जिनके धुंए से खिड़की के बाहर कई अजीब से आकार बनते हैं. लड़की उन छल्लों में खोज लेती है प्रेमी को, उसके नर्म एहसासों को और छूट गए साथ को भी. आधी सी जल चुकी सिगरेट लड़की की उंगलियों में दम तोड़ देती है, पर लड़की बेख़बर हैं इस हुए अनहुए से. वो कहीं गुमी सी है, पुरानी तस्वीरों के जालों में शायद जो उसने कुछ मिनट पहले देखे थे. उन तस्वीरों में लड़की का बेझिझक हँसना और प्रेमी का अनुराग कितना साफ़ था. लड़की ठण्ड को जरा और महसूस करते प्रेमी की चादर को और भींच लेती है, बिलकुल वैसे ही जब साथ के दिनों में वो सिमट जाती थी उसकी  छाती में. कुछ देर पहले बही हुई वो एक जोड़ी आँखें फिर उदास हो जाती हैं. अपने बिस्तर में बैठे, ओढ़े प्रेम की निशानी, यादों में गुम वो चुपचाप कुछ आंसू गिरा देती है. हांथों में बुझी हुई वो सिगरेट एक बा

साथ और याद!

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एक तस्वीर भेजी थी उसने एक खूबसूरत से खरगोश को थामे. मेरी नजर उसकी उँगलियों पर ठिठक गयी. कुछ देर तक देखते रहने के बाद मैंने उसे जवाब दिया ' तुम्हारे हाथ बेहद खूबसूरत हैं'  ये लिखने के बाद उन बीते दिनों का साथ घूमने लगा नजरों के आगे. जब साथ बैठे होते थे हम तब तुम्हारी उंगलियों से कितना खेला करती थी मैं. तुम्हारी कलाई और हाँथ को देखा करती थी जब थामे होते थे मुझे तुम, हलकी सी धूप में तुम्हारे हांथो के बालों का चमकदार शहद सा रंग और तुम्हारी गोरी सी हथेली जेहन में बहुत गहरे बसी है. तुमने जवाब दिया 'ये बेइज्जती का अच्छा तरीका है'  पर वाकई तुमसे खूबसूरत उस वक़्त तुम्हारी उंगलियां लग रही थीं.  उन के बीच थामा वो प्यारा सा खरगोश. तुम्हारे खूबसूरत से हाथों में बसे एहसास मुझे भुला देते हैं सब. तुम्हारी उँगलियों में लिपटी मेरी नजरें तुम्हारे सारे तिल देख कर दर्ज कर लेती थीं. तुम्हारे स्पर्श को याद करते मैं एक ठंडा दिन ऐसे ही गुजार देती हूँ.  कुछ छोटी सी चीजें भी कई बार कितना कुछ याद दिला जाती हैं ना. अब जब तुम अलग होने का सोच रहे हो, बस दोस्त बने रहना च

प्रेम का धागा।

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वो रात जो जाग कर गुजार दी जाती थी भयवश किसी अप्रत्याशित के उस रात के बीच जब जाग गए थे तुम एकबार, और तुमने मुझे भी जागता पाया मेरे आँखों में पसरा डर देखा और जोर से मुझे गले भी लगाया। पर कइयों बार हम खुद से दूर हो जाते हैं। तुम समझाते  टोटके करते बचाने को मुझे  बुरे सपनों से और मैं ढीठ सी हर बार डर ही जाती। फिर अचानक  तुम ले आये  एक धागा मेरा इनको ना मानना और तुम्हारी इन सब पर पूरी श्रद्धा मेरा मना करना  पर तुम मुझे चुप करा बस बांधते रहे कलाई पर उसे मेरी। मैं तुम्हे देख रही थी उस वक़्त पूरे आश्चर्य से कैसे प्रेम में पड़ा लड़का है यह धागे से भला कभी कोई भय जाएगा पर तुम्हारे खातिर मैंने बांधे रखा वो अजमेर का धागा आख़री गाँठ के साथ तुम्हारा उस धागे को चूमना और मेरा तुम्हारे और इश्क़ में पड़ना। आज अचानक एक चींटी घुस गयी है इसमे जैसे पूँछ रही हो ये कैसे अब तक बंधा है मैंने हलके से अलग किया उस चीटीं को  और समझाया ये मामूली नहीं प्यार का धागा है आधी रात को प्रेयस के हांथो बंधा महफूज़ियत का धागा है। ऐसा बोल कर मैं  सोचती हूँ वाक़ई कितनी ताक़त होती है